सारनाथ

सारनाथ बनारस से करीब दस किलोमीटर दूर उत्तर पच्छिम दिशा में एगो अस्थान बा जहाँ भगवान बुद्ध आपन पहिला उपदेश दिहलन। भगवान बुद्ध ए अस्थान पर मृगदाव, ऋषिपत्तन में आपन पहिला उपदेश दिहलन जेवना के धर्मचक्र प्रवर्तन कहल जाला। एही कारण महाराजा अशोक एह अस्थान पर एगो स्तंभ (खम्भा) लगववलन जेवना के सारनाथ क अशोक स्तंभ कहल जाला। भारत क राष्ट्रीय चिह्न एही अशोक स्तंभ की मुकुट (ऊपरी हिस्सा, Capitol Stone) की आकृति क नकल हवे। आजकाल ए स्तंभ की मुकुट के सारनाथ संग्रहालय में सुरक्षित रखल गइल बा। ऋषिपत्तन, जेवना के पाली भाषा में इशिपत्तन भी कहल जाला बौद्ध धर्म की चार सबसे प्रमुख तीरथ में गिनल जाला, बाकी तीनों हवें लुम्बिनी, बोधगया अउरी कुशीनगर। इहँवा सारनाथ में धम्मेक स्तूप, मूलगंध कुटी, सारनाथ संग्रहालय आ अउरी कई मंदिर देखे लायक बा। पुरातात्विक खुदाई में मिलल तरह तरह के मूर्ति आ सामन भी संग्रहालय में रखल बा जवन इतिहास आ संस्कृति की विद्यार्थी खातिर बहुत महत्व क चीज बा।

जैन धर्म के इग्यारहवाँ तीर्थंकर श्रेयांशनाथ के भी जनम एही जगह से थोड़ी दूरी पर भइल रहे जे से सारनाथ क महत्व जैन धर्म के माने वालन में भी बा।

नाँव क उत्पत्ति

सारनाथ शब्द के उत्पत्ति संस्कृत भाषा की सारंगनाथ से मानल जाला, जेकर अर्थ होला ‘हरिना (हिरन) के राजा’। कहानी ई कहल जाला कि बोधिसत्व जब हिरन की रूप में अवतार लिहलें तब शिकार खेले वाला राजा से एगो गर्भवती हिरनी के जान बचावे की खातिर आपन प्राण निछावर कइ दिहलन। राजा ए बात से प्रभावित हो के हरिना कुल के शिकार कइल छोड़ दिहलें आ एही अस्थान पर हरिना कुल खातिर एगो अभयारण्य बनवा दिहलन जहाँ केहू हरिना के शिकार न करे। आज एकरी प्रतीक की रूप में हिरन पार्क इहाँ बंवावल गइल बा। सारंगनाथ की नाम की साथ आजकाल इहाँ एगो शिव मंदिर भी बा जेवना आधार पर कुछ लोग ई कहेला कि ई जगह प्राचीन काल से शिव की पूजा क आस्थान रहे आ इहाँ पहिले भी सारंगनाथ शिव के पूजा होखे। हालाँकि ई बाति उल्टो हो सकेला कि शिव के पूजा बाद में ए बौद्ध अस्थान पर शुरू भइल होखे।

ऋषिपत्तन के कहानी ई हवे कि इहाँ भगवान बुद्ध कि जनम से पाहिले ओकर सूचना ५०० ऋषियन के देवे खातिर देवता लोग उतरल रहलें। दूसरी कहानी की हिसाब से ऋषि लोग अपनी हिमालय यात्रा पर आकाश मार्ग से जात घरी उतर के विश्राम कइले रहे जेसे एकर नाँव ऋषिपत्तन पड़ल।

मृगदाव चाहे मृगदाय ऐसे कहल जाला कि इहाँ राजा के आदेश की अनुसार मृग के शिकार कइल मना रहे आ मिरगा (हिरन) कुल स्वतंत्र हो के बिना कौनो भय के विचरण क सकत रहलें।

इतिहास

भगवान बुद्ध करीब ५३३ ई. पू. में इहाँ आपन पहिला उपदेश दिहलें जे के धर्मचक्र प्रवर्तन कहल जाला। एकरी बाद लगभग तीन सौ बारिस क इतिहास मालुम नइखे काहें से कि पुरातात्विक खोदाई में ए समय क कौनो चीज ना मिलल बा। मौर्य काल में अशोक(३०४-२३२ ई.पू.) की समय से सारनाथ के इतिहास की बारे में जानकारी मिलेला। सम्राट अशोक इहाँ स्तंभ लगववलें आ ओपर ब्राह्मी लिपि में आपन आदेश लिखववलें। कनिष्क की समय में इहवाँ बोधिसत्व के मूर्ति लगावल गईल। तीसरी शताब्दी से सारनाथ के असली उत्थान शुरू भईल अउरी कला, संस्कृति आ धर्म की एगो महत्वपूर्ण केन्द्र की रूप में सारनाथ गुप्त काल में(चौथी सदी से छठवीं सदी की बिचा में) अपनी उत्कर्ष पर पहुँचल। ए समय में मथुरा की बाद सारनाथ क कला आ संस्कृति की क्षेत्र में दूसरा अस्थान रहे। चीनी यात्री ह्वेन सांग सतवी सदी में महाराज हर्ष की राज में इहाँ के यात्रा कइलन।

पुरातात्विक खुदाई

सारनाथ क महत्व पहिली बार तब पता चलल जब काशीनरेश महाराज चेतसिंह क दीवान जगत सिंह अनजाने में धर्मराजिका स्तूप के खोदवा दिहलन आ एकरी ईंटा से जगतगंज मुहल्ला बनवा दिहलन। तब कर्नल कैकेंजी १८१५ ई. में एह अस्थान पर पहिली बेर खोदाई करववलन लेकिन उनके कुछ बहुत सफलता ना मिलल। बाद में जनरल कनिंघम की अगुआई में (१८३५-३६ ई.) एकर नीमन से खोदाई भइल आ धम्मेक स्तूप आ चौखंडी स्तूप आ औरी महत्वपूर्ण चीज मिलल। १८५१-५२ ई. में मेजर किटोई खोदाई करववलन जेवना के रपट छपल ना लेकिन खोदाई में मिलल चीज कुल कलकत्ता संग्रहालय में रक्खल बा।

एह क्षेत्र के बैग्यानिक ढंग से खोदाई एच.बी. ओरटल की अगुआई में शुरू भईल जेवना के हरग्रीव आगे बढ़ावलन आ आखिरी पांच साल के खोदाई श्री दया राम साहनी जी की अगुआई में भइल। एही दौरान १९०४ ई. में संग्रहालय के अस्थापना भईल आ १९१० ई. में एकर बिल्डिंग बन के तैयार भईल जहाँ एह खोदाई के मिलल सामन रक्खल बा।

देखे लायक

  • धम्मेक स्तूप
  • अशोक स्तंभ अउरी अशोक चिह्न
  • सारनाथ संग्रहालय
  • धर्मराजिका स्तूप
  • मूलगंध कुटी विहारमंदिर
  • चौखंडी स्तूप
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Tips & Hints
Arrange By:
Sanjoy
14 November 2011
A cool Railway Station. Neat and clean.
Saptashaw Chakraborty
20 April 2013
Avoid during summer.
Sanjoy
17 February 2012
Here you go with pic
TOMOPP A
27 January 2015
行きはJunction Station(カント駅)傍からの路線バス11番乗り場からのが近くを通ります。時間帯によっても違うようなので、車掌さんにサルナートに行くことを伝えれば、南に約2kmのNational Highway 29のアシャプールで降ろしてくれます。帰りは、Road Way(Bus Stand)行きの長距離バスでも相乗りできます。
Margagc
16 August 2017
Templo budista
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foursquare.com
7.6/10
146,976 people have been here
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0.2km from धर्मपाल मार्ग, सारनाथ, वाराणसी, उत्तर प्रदेश 221007, भारत Get directions
Wed 9:00 AM–6:00 PM
Thu 9:00 AM–3:00 PM
Fri 9:00 AM–5:00 PM
Sat 9:00 AM–6:00 PM
Sun 8:00 AM–5:00 PM
Mon 10:00 AM–Noon

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