बराबर गुफासभ भारत में चट्टान काटके बनावल सबसे पुरान गुफा ह, जेमें से ज्यादातर के संबंध मौर्य काल (322-185 ईसा पूर्व) से बा और कुछ में अशोक के शिलालेख देखल जा सके ला; इ कुल गुफा भारत के बिहार राज्य के जहानाबाद जिला में गया से 24 किलोमीटर की दूरी पर पड़े ला।
कई चट्टान के काट के बनावल गइल कक्ष अशोक (आर. 273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व) अऊर उनकर पुत्र दशरथ के मौर्य काल, तीसरी सदी ईसा पूर्व से संबंधित बा। अइसे तऽ उ स्वयं बौद्ध रहन लेकिन एगो धार्मिक सहिष्णुता के नीति के तहत उ विभिन्न जैन संप्रदाय के पनपे के मैका दिहलन। एह कुल गुफा के उपयोग आजीविका संप्रदाय के संन्यासी लोगन द्वारा कइल गइल जेकर स्थापना मक्खाली गोसाला द्वारा कइल गईल रहे, उ बौद्ध धर्म की संस्थापक सिद्धार्थ गौतम और जैन धर्म क अंतिम एवं 24वां तीर्थंकर महावीर क समकालीन रह न। इनकी अलावा ए स्थान प चट्टान से निर्मित कईगो बौद्ध और हिंदू मूर्ति भी पावल गईल बा।
ई.एम. फोर्स्टर क पुस्तक, ए पैसेज ऑफ इंडिया भी एही क्षेत्र के आधार बना के लिखल गईल बा, लेखक ए स्थल का दौरा कई न और बाद में आपन पुस्तक में काल्पनिक मारबार गुफाओं की रूप में एकर इस्तेमाल कई न।
बराबर में ज्यादातर गुफा दुगो कक्ष वाला बनल बा, जेके पूरा तरह से ग्रेनाईट के तराश के बनावल गईल बा आ एमें एगो उच्च-स्तरीय पॉलिश युक्त आतंरिक सतह और गूंज क रोमांचक प्रभाव मौजूद बा। पहिला कक्ष उपासक लोगन की खातिर एगो बड़ आयताकार हॉल में एकत्र होखले की इरादा से बनावल गईल रहे और दूसरा एगो छोट, गोलाकार, गुम्बदयुक्त कक्ष पूजा के खातिर रहे, ए अंदरूनी कक्ष क संरचना कुछ जगह प संभवतः एगो छोट स्तूप की तरह रहे, हालांकि अब इ खाली बाड़ी स।
बराबर पहाड़ी में चार गो गुफा शामिल बाड़ी स - करण चौपर, लोमस ऋषि, सुदामा और विश्व जोपरी। सुदामा और लोमस ऋषि गुफा भारत में चट्टान काट के बनावल जाए वाली गुफा क वास्तुकला क सबसे आरंभिक उदाहरण ह जेमें मौर्य काल में निर्मित वास्तुकला संबंधी विवरण मौजूद बा और बाद की कई सदी में इ महाराष्ट्र में पावल गईल विशाल बौद्ध चैत्य की तरह एगो चलन बन गईल बा, जैसन कि अजंता और कार्ला गुफा में बा और इ चट्टान काटकर बनावल गईल दक्षिण एशियाई वास्तुकला क परंपरा के काफी हद तक प्रभावित कइले बा।
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Barabar Caves
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लोमस ऋषि गुफा : मेहराब की तरह आकार वाली ऋषि गुफा लकड़ी क समकालीन वास्तुकला की नक़ल के रूप में बा। द्वार की मार्ग पर हाथिन क एगो पंक्ति स्तूप की स्वरूपन की ओर घुमावदार दरवाजा की ढांचन की साथ आगे बढ़ेले।
सुदामा गुफा : इ गुफा 261 ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा समर्पित कइल गईल रहे और एमें एगो आयताकार मण्डप की साथ वृत्तीय मेहराबदार कक्ष बनल बा।
करण चौपर (कर्ण चौपर): इ पॉलिश युक्त सतहन की साथ एगो एकल आयताकार कमरा की रूप में बनल बा जेमें ऐसन शिलालेख मौजूद बा जवन 245 ई.पू. के हो सके न स।
विश्व जोपरी : एमें दूगो आयताकार कमरा मौजूद बान स जहां चट्टानन में काट के बनावल गईल अशोका सीढी द्वारा पहुंचल जा सकेला।